आहट मिलने लगी है मुझको उसके इश्क की इशारे रोज करती है अपना असर मेरे दिल पर कुछ ना कुछ छोड़ जाती है मन मचलने लगा है दीवानों की तरह
उसकी मासूमियत पर मत जाना वह बाहर से जितनी मासूम दिखती है अंदर से उतनी ही ज्यादा सख्त है उसकी आस छोड़ दो नहीं तो एक दिन आंखों में आंसू लिए कहोगे हमारी जिंदगी व्यर्थ है तुम्हारी गलतियों की शिकायत इसलिए करती हूं तुम अपनी आदत को सुधार लो