वह मुझसे छुपकर कहीं और भी आंखें चार करते हैं हर सुबूत को मिटाकर घर लौटकर आते हैं उपाय में लगी हूं उनकी आदत छुड़ाने को
इंसान के इंसानियत की पहचान उसके कर्मो से होती है हम मानते हैं हर काम के पीछे कोई ना कोई स्वार्थ छुपा रहता है मगर कुछ में इतना प्यार छुपा होता है कि जहां लोग अपनी जान निछावर कर देते हैं