वह मुझसे छुपकर कहीं और भी आंखें चार करते हैं हर सुबूत को मिटाकर घर लौटकर आते हैं उपाय में लगी हूं उनकी आदत छुड़ाने को
उसकी मासूमियत पर मत जाना वह बाहर से जितनी मासूम दिखती है अंदर से उतनी ही ज्यादा सख्त है उसकी आस छोड़ दो नहीं तो एक दिन आंखों में आंसू लिए कहोगे हमारी जिंदगी व्यर्थ है तुम्हारी गलतियों की शिकायत इसलिए करती हूं तुम अपनी आदत को सुधार लो